Tuesday 5 May 2015

05.05.2015

चलो फिर से
उसी मोड़ पर लोट चलें
जहाँ मिले थे  
कुछ अजनबी ख्यालात
कुछ अजनबी राहें,


चलो फिर से
शुरू करें
एक नया सफ़र
ढूंढें नये रास्ते
मंजिलों की तलाश में,


चलो फिर से
बुने नये ख़्वाब,
ढूंढें नया आसमान
चलो आज फिर से
उसी मोड़ पर लोट चलें.





© रविश 'रवि'
raviishravi.blogspot.com
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