Wednesday 27 February 2013

सादर ब्लॉगस्ते!: शोभना फेसबुक रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या - 11

 नमस्कार दोस्तों,
आप सब के स्नेह और प्यार के साथ हाज़िर हूँ अपनी नयी रचना "ये अंतहीन सफर !!!" के साथ और जिस तरह से आप ने मुझे अभी तक हर रचना पर अपने विचारों और प्रतिक्रियाओं से नवाज़ा है, उम्मीद है इस बार भी आप मुझे निराश नही करेंगे......

इस बार आपके विचार कुछ विशिष्ट होंगे क्योंकि मेरी ये रचना "ये अंतहीन सफर !!!" सम्मिलित हुई है 'शोभना फेसबुक रत्न सम्मान-2012' हेतु और मुझे ये सम्मान दिलाने में आपके द्वारा लिखित प्रतिक्रियाओं का भी योगदान रहेगा |

कोशिश करी है कुछ नया और अच्छा लिखने की......बाकि आप मित्रजनो की प्रतिक्रिया से ही पता लग पायेगा कि मै अपने प्रयास में कितना सफल हुआ हूँ.....

आप से सबसे निवेदन है कि नीचे दिए लिंक पर जाकर रचना पढ़ें और comment portion में अपने बहुमूल्य विचार लिखें.........

आपके विचारों की अभिलाषा में.......

रविश 'रवि'


http://www.saadarblogaste.in/2013/02/11.html

 
सादर ब्लॉगस्ते!: शोभना फेसबुक रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या - 11: ये अंतहीन सफर !!! न जाने कौन है वो... जिसके लिए चमकता है... रात भर !!! कितनी सदियाँ बीत गयी हैं और अभी कितनी बीतेंगी यूँ ही... फलक...

Monday 25 February 2013

इन्तेज़ार....


था वादा आज रात का,
सुनेगा वो मेरी शिकायतों कों....
करता रहा इन्तेज़ार मै
और सूरज आज ढला ही नहीं.


रविश 'रवि'

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Friday 15 February 2013

मै हूँ तन्हा...


तेरे लबों के साये में
हुई आज सहर....

तेरे पहलु में
छुपी है आज की शाम....

शर्माता हुआ निकला चाँद
तेरे शानों की ओट से....

रात भी मांग रही है पनाह
तेरी जुल्फों के आँगन में....

और
मै
रहा हूँ तन्हा....
आज भी.



रविश ‘रवि’


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Monday 4 February 2013

हाथों की लकीरें....

माना के तेरे हाथों की लकीरों में मेरा नाम तो नहीं ,
तुने मुझे याद न किया हो,ऐसी भी तो कोई शाम नहीं.



रविश ‘रवि’


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