Tuesday 31 March 2015

आसमां है खामोश

आसमां पसरा है खामोश
चाँद भी  चमका है तन्हा,
यूँ तो मिले हैं दिल कई
फिर भी दिल है तन्हा,

शाम होती है तेरी बज़्म में
सहर फिर भी है तन्हा,
हैं यहाँ दरो- दीवारें बहुत
फिर भी हर मकां हैं तन्हा,

सितारों की रोशनी है बहुत
रहगुजर फिर भी है तन्हा,
दिन तो गुजर ही जाता है
रात सरकती है तन्हा,

तै किया है सफ़र बहुत
मंजिलें फिर भी मिलीं हैं तन्हा,
बहुत बेगैरत है ये ज़िन्दगी
रूह भी तन्हाजाँ भी तन्हा |






© रविश 'रवि'
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Tuesday 24 March 2015

दोस्ती

कभी-कभी गैरों से भी मिला करो,
कहते हैं अपने क्या, सुना करो,
होंगे यूँ तो बहुत अज़ीज़ तुम्हारे
दुश्मनों से भी दोस्ती रखा करो.


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Tuesday 10 March 2015

रूठना-मनाना

अरसा हो गया
तुम्हे मनाये हुए,
बहुत दिनों से तुम
रूठे भी तो नहीं हो !



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Tuesday 3 March 2015

रात भर बारिश

कल रात भर बारिश होती रही
देर तलक तेरी यादें मुझे भिगोती रहीं,
तेज हवा के झोंकें खिड़कियों को हिलाते रहे
तेरे लम्स मेरे जेहन को खटखटाते रहे,
पानी की बूंदे दीवार-ओ-पर्दों को गीला करती रहीं
तेरी आँखों की सलवटें मुझ से गिला करती रहीं,
ये बारिश का मौसम तो नहीं है
तेरे ना होने की कोई वजह भी तो नहीं है.



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