Tuesday 8 September 2015

उजालों की गिरह

दिन कट गया 

उजालों की गिरह 
खोलने में,
आज की रात
अंधेरों की जुल्फों को
संवारने का 
इरादा है.


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Wednesday 22 July 2015

वही तो है मौसम....

वही तो है मौसम आज भी
और रुत भी वही छाई है,
गए बरस में हुआ था यूँ ही
तेरी पलकों तले शाम हुई थी...

है मेरे सीने पर आज भी वो
पानी की नन्ही-नन्ही बूंदें
जो तेरे लबों को छू कर
लजा के शर्मसार हुई थीं....

आज फिर बरसें है बादल
भीगा है मौसम इस तरह
मानों कल ही तेरे शानों पर
मेरे ख्वाबों की रात हुई थी.


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तेरी यादों का मौसम

मौसम ने मिजाज़ बदल कर ली अंगडाई है
तेरी यादों के मौसम की फिर याद आई है,

तेरे जिस्म की खुशबु का पैगाम कुछ यूँ आया
बारिश की बूंदों ने दरवाजे पर दस्तक लगाई है.  


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Wednesday 3 June 2015

फलक पर चाँद

कल फलक पर था चाँद पूरा का पूरा,
और मै था जमीं पर कुछ अधुरा-अधुरा,

गुजार दी शब महकती चांदनी के साए में,
करता रहा इकट्ठा तारों को उसके इंतज़ार में,

ना हिज्र का मौसम थाना वस्ल की ही बात थी,
ये तो बस आँखों ही आँखों में कटी फिर एक रात थी,

वो ना आये और ना ही हवाओं ने कोई खबर दी,
हमने भी एक और रात उनके नाम कर दी,

अब ये मसाफ़त हो कैसे तै, ऐ चाँद तू ही बता,
या तो दे-दे उनकी खबर नहीं तो दे-दे उन्हें मेरा पता |




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Sunday 10 May 2015

उजालों की रहनुमाई

उजालों की रहनुमाई न कर...मेरे मौला
इस कद्र बेइंतहाई न कर...मेरे मौला
चाँद - सितारों की रोशनी के आगे
मोतों की यूँ जगहंसाई न कर...मेरे मौला.



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Tuesday 5 May 2015

05.05.2015

चलो फिर से
उसी मोड़ पर लोट चलें
जहाँ मिले थे  
कुछ अजनबी ख्यालात
कुछ अजनबी राहें,


चलो फिर से
शुरू करें
एक नया सफ़र
ढूंढें नये रास्ते
मंजिलों की तलाश में,


चलो फिर से
बुने नये ख़्वाब,
ढूंढें नया आसमान
चलो आज फिर से
उसी मोड़ पर लोट चलें.





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Monday 20 April 2015

सियासत-रियासत

ये सियासत भी गज़ब रियासत है
हर बात पर रोटियाँ सेकी जाती हैं,
उड़ा कर मज़ाक तेरी-मेरी बेबसी का
यहाँ मेले में मेजें थपथपाई जाती हैं,


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Wednesday 15 April 2015

चाँद की बेचैनी !!!!

चाँद में है बेचैनी
और
तारों में भी है कुछ
सुगबुगाहट सी....
बस 
कुछ और पल
और आ जायेगा
सूरज
उनकी रोशनी का 
सौदा करने !!!!


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Tuesday 31 March 2015

आसमां है खामोश

आसमां पसरा है खामोश
चाँद भी  चमका है तन्हा,
यूँ तो मिले हैं दिल कई
फिर भी दिल है तन्हा,

शाम होती है तेरी बज़्म में
सहर फिर भी है तन्हा,
हैं यहाँ दरो- दीवारें बहुत
फिर भी हर मकां हैं तन्हा,

सितारों की रोशनी है बहुत
रहगुजर फिर भी है तन्हा,
दिन तो गुजर ही जाता है
रात सरकती है तन्हा,

तै किया है सफ़र बहुत
मंजिलें फिर भी मिलीं हैं तन्हा,
बहुत बेगैरत है ये ज़िन्दगी
रूह भी तन्हाजाँ भी तन्हा |






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Tuesday 24 March 2015

दोस्ती

कभी-कभी गैरों से भी मिला करो,
कहते हैं अपने क्या, सुना करो,
होंगे यूँ तो बहुत अज़ीज़ तुम्हारे
दुश्मनों से भी दोस्ती रखा करो.


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Tuesday 10 March 2015

रूठना-मनाना

अरसा हो गया
तुम्हे मनाये हुए,
बहुत दिनों से तुम
रूठे भी तो नहीं हो !



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Tuesday 3 March 2015

रात भर बारिश

कल रात भर बारिश होती रही
देर तलक तेरी यादें मुझे भिगोती रहीं,
तेज हवा के झोंकें खिड़कियों को हिलाते रहे
तेरे लम्स मेरे जेहन को खटखटाते रहे,
पानी की बूंदे दीवार-ओ-पर्दों को गीला करती रहीं
तेरी आँखों की सलवटें मुझ से गिला करती रहीं,
ये बारिश का मौसम तो नहीं है
तेरे ना होने की कोई वजह भी तो नहीं है.



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Wednesday 28 January 2015

आरजू

शाम किसी की आरजू में गुजरती है
हर रात चाँद के दीद में उतरती है,
घूम के आया हूँ सहरा से हो कर मै,
ये निगाह खास चेहरे पर ठहरती है.


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Thursday 22 January 2015

सियासत

बहुत फलफुल रहा है कारोबार बेवफाई का,
शहर में मौसम है चुनाव की गरमाई का,

सियासत में बदल जाते है चेहरे और मोहरे,   
निकलता है यहाँ रोज़, ज़नाज़ा वफाई का.


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Tuesday 6 January 2015

गया बरस

गया बरस तो यूँ ही गुजर गया
कुछ पाया तो कुछ हाथों से छुठ गया,
दिनों से भी लंबें गुजरें हैं
तसव्वुर तेरे आगोश के,
रातों से भी गहरे निकलें है
लम्स....तेरी यादों के.



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