Monday 14 October 2013

काली दीवारें

घर की दीवारों को
हैं बहुत उम्मीदें....
इस बरस तो वो चमकेंगी ही !!!

अरसा हो गया
दीवारों को रंगें हुए ...

तेरे नाज़ुक हाथों की
मेहंदी के निशां
आज भी चमकते हैं
काली पड़ी दीवारों पर....




रविश 'रवि'
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Wednesday 2 October 2013

अजनबियों का शहर

ये अजनबियों का शहर है
देख कर चला करो,
है हर हाथ में खंजर
जरा संभल कर मिला करो.

बाल अक्सर हो जाते हैं
धूप में भी सफ़ेद,
आईने में इनको देख कर
चारागरी न किया करो.

खुद को मालिक समझने की
दिल कर ही देता है खता,
हवा भी अक्सर गिरा देती है 
जमीं के हो,जमीं पे ही चला करो.




रविश 'रवि'
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