आज आसमां ने मुझसे दगा कर लिया
उनकी आँखों से काजल चुरा भर लिया,
सांसों की महक से हवा यूँ मदमस्त हुई
फिर उसने न रुकने का इरादा कर लिया.
लरजते हुए लबों को जो छुआ बूंदों ने
सागर ने खुद के पानी को मीठा कर लिया,
सरमा कर खुद में सिमट गई ज़मीं भी
अपने कांधों से दुपट्टा जो सरका भर लिया.
बरसा है पानी कुछ यूँ झूम-झूम कर
उठा नज़रें आसमां को जो देख भर लिया,
देख कर रात में उनके काँधें का तिल
चाँद ने अपनी चांदनी से किनारा कर लिया.
रविश 'रवि'
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