Thursday 20 February 2014

ये साल

एक नजूमी* ने कहा था, ये साल अच्छा गुजरेगा,
कुछ और दोस्तों की नज़र में, मै बेवफा हो गया.


* ज्योतिषी
 © रविश 'रवि'
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Monday 17 February 2014

तपिश और चांदनी

कुछ तपिश चाँद की चुरा लेता हूँ
कुछ चांदनी सूरज की चुरा लेता हूँ,
कभी इसके साथ सहर बसर कर लेता हूँ
कभी उसके साथ शाम गुजर कर लेता हूँ
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रविश 'रवि'
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Sunday 9 February 2014

मुफलिसी

ये कैसी हवा चली है ए ग़ालिब
मुफलिसी भी नीलम हुयी जाती है
उडाकर मजाक गरीबों की भूख का
सियासत की रोटी सेकी जाती है.



रविश 'रवि'
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Monday 3 February 2014

सर्दियों की सुबह

कोहरे की चादर में
लिपटी सड़कें
अलसाता हुआ आलम  
रजाई के गर्माइश में
लिपटा जिस्म
सर्दियों में
सुबह अक्सर
ऐसे ही होती है.



रविश 'रवि'
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