Thursday 31 January 2013
Tuesday 29 January 2013
रोशनी
देखा था फलक पर रात
जिसे रोशनी में
दमकते हुए...
सुना है सूरज की रोशनी
में
उस ‘चाँद’ ने दम तोड़
दिया.
रविश ‘रवि’
Wednesday 23 January 2013
जीने का हुनर
यहाँ मसाईलों के अंधेरे हैं बहुत
चलो वक्त की साख से कुछ पत्ते तोड़ लूँ...
गम्-ए-दौरां ने तराशा है मुझे
ऐ ग़ालिब, तुझसे जीने का हुनर सीख लूँ.
रविश ‘रवि’
Friday 18 January 2013
तेज़ हवा के झोंके.....
तेज़ हवा के झोंके ने
खिड़की के दरवाज़ों को तिरछा कर दिया....
बारिश की बूंदों ने
मन की किताब को सीला कर दिया....
वो जो गया था पिछले बरस
यूँ ही तन्हा छोड़ कर....
आज भी हैं उसके
गीले क़दमों के निशां इस कमरे में....
यूँ तो साँसे भी हैं चल रही और
ज़िन्दगी भी नहीं थमी....
मगर उसे कोई कैसे बताये,
उसके बगैर ये ज़िन्दगी
भी तो ज़िन्दगी नहीं.
Wednesday 2 January 2013
नया साल २०१३....
नया साल...
नया दिन...
नयी सुबह...
नयी
उम्मीदें....
नया जोश...
नया
होसला....
चलो ‘रविश’...
टूटी हुई
माला को फिर
पिरोया
जाये...
सहमे हुए
सपनों को फिर से
संवारा
जाये...
दरारें...
जो आ गयी
हैं आँखों में,
उन्हें
आंसुओं से पाटा जाये...
नमी....
जो जम चुकी
है पलकों पर,
सूरज की
तपिश से उसे पिघलाया जाये....
और
रेशा-रेशा
में जो बिखरा है
मेरे
अंदर...
चलो ‘रविश’...
उसे फिर से
ईमारत में
तब्दील किया
जाये |
रविश ‘रवि’
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