ये मेरा है वतन
ये तेरा है वतन
ये हम सबका है वतन....
कहते जिसे हिन्दुस्तान हैं...
ये ही है हम सबकी आरजू
ये ही हमारी जान है.
कभी है रमजान की इबादत
कभी भोले का उदघोष है
कहीं है यीशु की खुश्बू
कहीं नानक का उपदेश है
हैं धर्म अनेक यहाँ पर लहू एक समान है...
ये हम सबका है वतन....
कहते जिसे हिन्दुस्तान हैं...
इंसान तो क्या यहाँ
पत्थर से भी रिश्ते जोड़े जाते हैं...
दूर गगन में बैठे चाँद को भी
हम मामा कह के बुलाते हैं...
मिट्टी और पानी में बसी हमारी जान है
ये हम सबका है वतन....
कहते जिसे हिन्दुस्तान हैं...
राम से है मर्यादा सीखी
गुरु गोबिंद से जोश लिया
कलाम से अग्नि चलाना सिखा
बुद्ध से शांति का सन्देश लिया
हर तरफ बढ़ रही अपने देश की शान है
ये हम सबका है वतन....
कहते जिसे हिन्दुस्तान हैं...
न समझे कोई कमज़ोर हमें
हमें प्यार निभाना आता है udh
दुश्मनों को भी गले लगा कर
अपना दोस्त बनाना आता है
एकता और शांति ही हमारा पैगाम है...
ये हम सबका है वतन....
कहते जिसे हिन्दुस्तान हैं...
उठते है जो हाथ राखी बांधने को
वो तलवार भी उठा सकते है
गर हो जरुरत तो कलम के सिपाही
दुश्मन को मारने का जिगर भी रखते हैं
अपने तिरंगे पर जान अपनी कुरबान है....
ये हम सबका है वतन....
कहते जिसे हिन्दुस्तान हैं...
ये मेरा है वतन
ये तेरा है वतन
ये हम सबका है वतन....
कहते जिसे हिन्दुस्तान हैं...
ये ही है हम सबकी आरजू
ये ही हमारी जान है.
© रविश 'रवि'
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