Tuesday 28 January 2014

तेरे मेरे दरमियां !!!

तेरे मेरे दरमियां
न जाने
ये कैसा खिचाव है ?

तलाशता रहता हूँ
खुद को
तेरे पहलु में, 

न जाने
कहाँ खो हो गया 
मेरा अक्स ! 
इन घुमावदार..टेढ़े-मेढे
रास्तों पर.  

तेरे मेरे दरमियां
न जाने
ये कैसा खिचाव है...
ए ज़िंदगी !!!



रविश 'रवि'
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Monday 20 January 2014

रात

मै दरकता रहा
रात सरकती रही,
चाँद चढ़ता रहा
रात कटती रही,
वक्त चलता रहा
रात होती रही,
तेरे ख्वाबों के शानों पर
मेरी रात बीतती रही.



रविश 'रवि'
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Wednesday 15 January 2014

नज़्म

जो नज़्म तेरी अंजुमन में पढ़ी थी...मेरे मौला,
उसे आज किसी और के हाथों में पाया.

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Tuesday 7 January 2014

तेरा इंतज़ार

तमाम राह तेरा इंतज़ार किया
हर रोज़ खुद को जलाता रहा,
तेरे खत के आने की आरजू में
उम्र उधार मांग कर जीता रहा.


रविश 'रवि'
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Wednesday 1 January 2014

ख्वाहिश

तेरे सिवा किसी और की ख्वाहिश करी
ये मेरी खता थी मेरे मौला,
मुझे किसी और की ख्वाहिश अता करी

ये तेरी खता थी मेरे मौला.



रविश 'रवि'
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