कुछ तपिश चाँद की चुरा लेता हूँ
कुछ चांदनी सूरज की चुरा लेता हूँ,
कभी इसके साथ सहर बसर कर लेता हूँ
कभी उसके साथ शाम गुजर कर लेता हूँ |
कुछ चांदनी सूरज की चुरा लेता हूँ,
कभी इसके साथ सहर बसर कर लेता हूँ
कभी उसके साथ शाम गुजर कर लेता हूँ |
raviishravi.blogspot.com
www.facebook.com/raviish.ravi
No comments:
Post a Comment