ये अजनबियों का शहर है
देख कर चला करो,
है हर हाथ में खंजर
जरा संभल कर मिला करो.
बाल अक्सर हो जाते हैं
धूप में भी सफ़ेद,
आईने में इनको देख कर
चारागरी न किया करो.
खुद को मालिक समझने की
दिल कर ही देता है खता,
हवा भी अक्सर गिरा देती है
जमीं के हो,जमीं पे ही चला करो.
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