Monday 23 December 2013

हया

कुछ इस तरह आ मेरे आगोश में
कि मेरे वजूद को तेरी खबर न हो,
आँखों से पढ़ लूँ तेरी हया को मै
कि तेरे हिजाब को भी खबर न हो.



रविश 'रवि'
raviishravi.blogspot.com
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