कल रात भर बारिश होती रही
देर तलक तेरी यादें मुझे भिगोती रहीं,
तेज हवा के झोंकें खिड़कियों को हिलाते रहे
तेरे लम्स मेरे जेहन को खटखटाते रहे,
पानी की बूंदे दीवार-ओ-पर्दों को गीला करती रहीं
तेरी आँखों की सलवटें मुझ से गिला करती रहीं,
ये बारिश का मौसम तो नहीं है
तेरे ना होने की कोई वजह भी तो नहीं है.
देर तलक तेरी यादें मुझे भिगोती रहीं,
तेज हवा के झोंकें खिड़कियों को हिलाते रहे
तेरे लम्स मेरे जेहन को खटखटाते रहे,
पानी की बूंदे दीवार-ओ-पर्दों को गीला करती रहीं
तेरी आँखों की सलवटें मुझ से गिला करती रहीं,
ये बारिश का मौसम तो नहीं है
तेरे ना होने की कोई वजह भी तो नहीं है.
© रविश 'रवि'
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