Wednesday 28 January 2015

आरजू

शाम किसी की आरजू में गुजरती है
हर रात चाँद के दीद में उतरती है,
घूम के आया हूँ सहरा से हो कर मै,
ये निगाह खास चेहरे पर ठहरती है.


© रविश 'रवि'
raviishravi.blogspot.com

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