गया बरस तो यूँ ही
गुजर गया
कुछ पाया तो कुछ
हाथों से छुठ गया,
दिनों से भी लंबें गुजरें
हैं
तसव्वुर तेरे आगोश
के,
रातों से भी गहरे
निकलें है
लम्स....तेरी यादों
के.
© रविश 'रवि'
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