Tuesday 6 January 2015

गया बरस

गया बरस तो यूँ ही गुजर गया
कुछ पाया तो कुछ हाथों से छुठ गया,
दिनों से भी लंबें गुजरें हैं
तसव्वुर तेरे आगोश के,
रातों से भी गहरे निकलें है
लम्स....तेरी यादों के.



© रविश 'रवि'

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