बहुत कोशिश की आज मुस्कराने की,
न जाने क्यों लब खामोश रह गए ....
दो बूंद अश्क जो रुके थे आँखों में,
वो आँखों ही आँखों में बह गए....
बीत गया एक चक्र और ज़िन्दगी का,
मेरे हाथ आज भी ख़ाली रह गए.....
यूँ तो गुजरे थे मेरी रह-गुज़र से,
पर आज भी वो खामोश रह गए |
© रविश 'रवि'
raviishravi.blogspot.com
www.facebook.com/raviish.ravi
न जाने क्यों लब खामोश रह गए ....
दो बूंद अश्क जो रुके थे आँखों में,
वो आँखों ही आँखों में बह गए....
बीत गया एक चक्र और ज़िन्दगी का,
मेरे हाथ आज भी ख़ाली रह गए.....
यूँ तो गुजरे थे मेरी रह-गुज़र से,
पर आज भी वो खामोश रह गए |
© रविश 'रवि'
raviishravi.blogspot.com
www.facebook.com/raviish.ravi
No comments:
Post a Comment