raviish 'ravi'
Monday 24 March 2014
दौरे - सियासत
ये कैसा दौरे - आलम है सियासत का ग़ालिब
पैमाना-ए-वफ़ा के पैमाने छूटे और टूटे जाते हैं
सुबह तलक सुनाते हैं जो किस्सा -ए- रफ़ीक
शाम ढले रकीबों की कतार में नज़र आते हैं.
रफ़ीक – दोस्त ,
रकीब – विरोधी
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रविश
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