दूर उफ़क पर कुछ ख्वाब पलते हैं
दूर उफ़क पर कुछ ख्वाब ढलते हैं
जब भी लम्हा टूट कर गिरा है आसमां से
मेरे होठों पर तेरी सांसों के चराग जलते हैं
ये शाम ठहर जाती है तेरी सुरमई आँखों में
मेरे जिस्म पर तेरी यादों के नक्श खींचतें हैं
रात ठहर जाती है तेरे कांधे के तिल के तले
मेरी रूह में तेरी रूह के गुलाब मिलते हैं.
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