Sunday 27 April 2014

रिश्तों की सीलन

दीवारों में दरारें
क्या आयीं,
कुछ रिश्तों में
सीलन पड़ गयी है.

वो धूप जो चमकाती थी
हमारे घर के आँगन को,
उस धूप में
गांठें आ गयी हैं.

कहते हैं कि
गर सीलन देर तक रहे तो,
फिर कभी उसकी
‘बू’ नहीं जाती है!



© रविश 'रवि'
raviishravi.blogspot.com

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