Monday 6 October 2014

तेरे साये

तेरी जुल्फों के साये में दिन छोड़ आया हूँ,
तेरे काँधें के तिल पर रातें भूल  आया हूँ.
चाँद निकलता है तेरी खुश्बू को ओढ़ कर,  
तेरे लबों पर साँसों के साये छोड़ आया हूँ.


© रविश 'रवि'
raviishravi.blogspot.com

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